मिस्टर त्रिपाठी के पिता, काफी आध्यात्मिक हैं। रोज सुबह शाम पूजा-पाठ करते। ये देखकर उनकी धर्मपत्नी कहती हैं- तुम भगवान को इतना मानते हो, लेकिन परेशानी में, वो तुम्हारी मदद तो करते नहीं। पूजा-अर्चना करने के बाद, पत्नी के पास आए और बोले। मैं, तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं। एक बार, एक गांव में बाढ़ आ गई। लोग जान बचाकर भागने लगे। एक संत पेड़ के नीचे तपस्या में लीन थे, लोगों ने उन्हें, साथ चलने को कहा। पर संत ने कहा-”तुम लोग अपनी जान बचाओ, मुझे तो मेरे भगवान बचाएंगे।” कुछ देर में वहां, एक नाव और एक हेलीकॉप्टर आया, लेकिन संत ने, उनकी मदद भी नहीं ली। बस यही कहते रहे -मुझे तो मेरे भगवान बचाएंगे। कुछ ही देर में, वो संत पानी में बह गए और उनकी मृत्यु हो गयी।
मरने के बाद वो, भगवान से बोले-” हे प्रभु मैंने, आपकी इतनी तपस्या की, लेकिन जब मैं पानी में डूब कर मर रहा था, तब आप मुझे बचाने क्यों नहीं आए? भगवान बोले-” मैं तुम्हारी रक्षा करने, 1 नहीं बल्कि 3 बार आया था। कभी ग्रामीणों के रूप में, तो कभी नाविक और हेलीकॉप्टर बचाव दल के रूप में। किन्तु तुम ही, मेरे इन अवसरों को पहचान नहीं पाए।” ईश्वर हमें कई मौके देते हैं। उन्हें पहचान कर, उनका लाभ उठा लें, तो सही, वरना बाद में पछताना ही पड़ता है।